ब्रिटेन ने भारत से लूटा इतना धन, नोटों से 4 बार ढक जाएगी लंदन की धरती, सामने आया सच

भारत की गुलामी के किस्‍से और उस दौरान हुए अत्‍याचारों के किस्‍से कई पीढ़ियों ने सुने हैं. कैसे लुटेरों ने सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत को गरीबी के गहरे जख्‍म दिए. कहते हैं ना कि वक्‍त जरूर लग जाए लेकिन सच कभी ना कभी सामने आता जरूर है. इस माम

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भारत की गुलामी के किस्‍से और उस दौरान हुए अत्‍याचारों के किस्‍से कई पीढ़ियों ने सुने हैं. कैसे लुटेरों ने सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत को गरीबी के गहरे जख्‍म दिए. कहते हैं ना कि वक्‍त जरूर लग जाए लेकिन सच कभी ना कभी सामने आता जरूर है. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. ऑक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट में वह पूरी सच्‍चाई सामने ला दी है कि किस तरह ब्रिटिशर्स ने भारत से अरबों-खरबों की संपत्ति लूटी.

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भारत से लूटकर ले गए 64.82 ट्रिलियन डॉलर

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन ने भारत को उपनिवेश बनाकर वहाँ से जो संपत्ति निकाली, वो बहुत अधिक थी. साल 1765 से साल 1900 तक के बीच ब्रिटेन ने कुल 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का धन भारत से बाहर निकाला.

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यहां उपनिवेश से मतलब है किसी राज्य के बाहर की दूर स्थित बस्‍ती जहां उसकी जनता रहती है. यानी कि दूरी भले ही कितनी भी ज्‍यादा हो लेकिन उस पर पूर्ण प्रभुसत्ता उसी राज्‍य की रहती है. ब्रिटेन ने कई देशों को इसी तरह अपना उपनिवेश बनाया और उन पर ना केवल राज किया, बल्कि उनकी संपत्ति भी लूटी.

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लूटे धन का 10 फीसदी बांटा अमीरों में

रिपोर्ट के अनुसार भारत से लूटे गए धन का बड़ा हिस्सा ब्रिटेन के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों के पास गया. यह धन करीब 33.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था. यह पैसा इतना अधिक था कि अगर इसे 50 ब्रिटिश पाउंड के नोटों में गिना जाए, तो लंदन की धरती 4 बार नोटों से ढंक जाए.

उपनिवेशवाद ने बनाई असमान दुनिया

ऑक्सफैम इंटरनेशनल की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि उपनिवेशवाद ने एक असमान दुनिया का निर्माण किया, जिसमें सबसे अमीर लोग लगातार लाभ में रहे और गरीब देशों से धन निकालकर मुख्य रूप से विकसित देशों के अमीरों को फायदा पहुंचाया गया. इस साल इस रिपोर्ट का शीर्षक है "टेकर्स, नॉट मेकर्स".

बताया गुलामी और उपनिवेशवाद का संबंध

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ब्रिटेन में आज के सबसे अमीर लोग अपने परिवारों की संपत्ति को गुलामी और उपनिवेशवाद से जोड़ सकते हैं. विशेषकर उन गुलाम मालिकों को दिए गए मुआवजे के जरिए जिन्होंने गुलामी को समाप्त करने के बाद धन अर्जित किया.

...इसलिए भारत में नहीं बढ़ पाए उद्योग

साल 1750 में भारत का वैश्विक औद्योगिक उत्पादन 25 प्रतिशत था. लेकिन साल 1900 तक यह आंकड़ा गिरकर केवल 2 प्रतिशत रह गया. इस भारी गिरावट का मुख्य कारण उपनिवेशीकरण और ब्रिटेन द्वारा भारत से निकाले गए संसाधन और धन था. इन संसाधन अैर धन की कमी के कारण भारत के औद्योगिक जगत को तगड़ा झटका लगा और यह लगभग खत्‍म होने की कगार पर पहुंच गया था.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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